हम देहात के निकले बच्चे !

हम देहात के निकले बच्चे थे I पांचवी तक घर से तख्ती लेकर स्कूल गए थे I स्लेट को जीभ से चाटकर अक्षर मिटाने की हमारी स्थाई आदत थी I कक्षा के तनाव में स्लेटी खाकर हमनें तनाव मिटाया थ...
हम कलम-क्राँन्तिकारी युग परिवर्तन करने निकले है, हम बदलेगेँ युग बदलेगा यह उद्घोष लेकर निकले हैँ।