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हम आदिवासी थे, आदिवासी है, ओर आदिवासी रहेगेँ...

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जिनके पास कटु सत्य से सामना करने का साहस है, ऐसे सभी सुधीजन आदर के साथ आमंत्रित हैं.. हमारी तहजीब को तुमने विज्ञापनों में उतारा हमारी नैसर्गिक परम्पराओं ने तुम्हारा मनोरंजन संवारा, हमारी संस्कृति, तुम्हारी शादी में नाचती-बजाती है हमारी जांगर तोड़ मेहनत तुम्हारे आलीशान घरों में कम मजदूरी पाती हैँ। हमारी कलाकृतियाँ, तुम्हारे ड्राइंग रूम की शोभा बनती हैं हमारी सेल्फी, अब तुम्हारे मेहमानों के लिए भी जमती है। हमारे लिए नमक भी तुम्हारी राजनीति का सौदा हो गयी आदिवासी होने का सर्टिफिकेट मुख्यमंत्री का ओहदा हो गयी... जंगली उत्पाद तुम्हारे इम्पोर्ट- एक्सपोर्ट के धंधे बन गए हमारी बदौलत न जाने कितनों के महल तन गए... हमारे अर्धनग्न आधे पहनावे तुम्हारी दर्शनीय वस्तु हो गयी ओ मनुवादी शहरी जीव! तुमसे मिलकर हमारी तो ओरिजिनलिटी खो गयी... हमारे पर्वतों, खदानों के लौह अयस्क तुम्हारे उद्योग बन गए हम भूखे रहे, हमारी जड़ी-बूटियाँ तुम्हारे उत्तम भोग बन गए, हमारी निःस्वार्थता और भोलेपन का कितना ओर दोहन करोगे ? क्या अब हमारी लंगोटी का भी चीर हरण करोगे ?? हमारी वेशभूषा पहनकर तुम्हारे नेता तस्वीरें खिंचवाते हैं...