क्या आरक्षण पाने वाले अपने समाज से न्याय करते है?

मोदी जी की भाजपा सरकार और #RSS ने ज्यो ही आरक्षण समीक्षा की बात कही वैसे ही आरक्षण लाभार्थी ( अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछडा वर्ग ) गहरी नींद से जाग उठे। उन्हे डॉ. अंबेडकर याद आने लगे, समाजिक संगठन याद आने लगा, वे लोग जो समाज के अधिकारों लिए लड़ते है, अम्बेडकरी आंदोलन की अलख जगाये हुये है, याद आने लगे। यहां प्रश्न यह है की आरक्षण आखिर किसके लिए था। क्या आराक्षण इस लिए था की लोग आरक्षण का लाभ लेकर अपने ही समाज को हिकारत की नजर से देखे। आरक्षण का अधिकार देने वाले डाँ. अंबेडकर को धिक्कारे। इस बीच खबर आयी की प्रमोशन में आरक्षण भी खत्म कर दिया गया। उत्तरप्रदेश सरकार ने लागू भी कर दिया तत्पश्चात कई अफसर, कलर्क डिमोट होकर फिर से चपरासी बना दिये गये। इससे देशभर के आरक्षण लाभार्थियों में मानो भूचाल सा आ गया। इसका प्रभाव देश भर में पडा जो आरक्षण लाभार्थी हर साल वैष्णव देवी, सीर्डी आदी में भारी भरकम रकम चढाते थे, अचानक उन्हे अंबेडकरी संगठन याद आने लगे। कुछ लाभार्थी नये आरक्षण बचाव संगठन बनाने लगे। फेसबुक, वाट्सएस ओर ट्वीटर में ऐसे आरक्षण बचाओ ग्रुप की बाढ सी आ गयी। ये आरक्षण लाभार्थी एकाएक समाज सेवक की भूमिका में आ गये। ये वही आरक्षण लाभार्थी है जिन्होने समाज को धोका दिया था।
(1.) जब अंबेडकरवादी संगठन चंदा मांगने आते थे, उन्हे भगा दिया करते थे या उनके लिए 10 रूपये मुश्किल से निकलता था। वहीं दुर्गा गणेश के चंदा वे हजारों में देते थे।
(2.) अपने आपको आरक्षित वर्ग का कहने में शर्म महसूस करते थे। और रोज अपने ही समाज को गाली दिया करते थे।
( 3.) मोबाईल पर भजन आदी ब्राम्हणवादी रिंगटोन रखते थे ताकि उनके सवर्ण मित्र खुश रहे।
(4.) अम्बेडकर को गाली बकते थे, एवं अपने बच्चों को अपनी जाति और उनके बारे में नही बताते थे। (अपनी पत्नी से हर हफ्ते ब्राम्हणवादी व्रत रखवाते थे ताकि अपने आपको सवर्ण के करीब क्या आरक्षण पाने वाले अपने समाज
से न्याय करते है? )
(5.) प्रश्न ये उठता है की क्या समाज के ऐसे गद्दारों के लिए आरक्षण की व्यवस्था डाँ. अम्बेडकर ने प्रदान की थी। बिल्कुल नही डाँ. अम्बेडकर जीते जी ऐसे लोगो को पहचान गये ! क्या आरक्षण पाने वाले अपने समाज से न्याय करते है? थे इन्ही के लिए उन्होने कहा था मुझे मेरे लोगो ने ही धोखा दिया। आईये जाने की बाबा साहब ने आरक्षण की व्यवस्था क्यो की।
(1.) आरक्षण पाकर व्यक्ति अपने समाज का उत्थान करे न की सिर्फ अपने परिवार का उत्थान करे और समाज से नफरत करे।
(2.) अपने समाज का गौरवशाली इतिहास को जाने खोज करे, या ऐसा करने वाले व्यक्ति को आर्थिक मदद करे। इसकी जानकारी से अपने बच्चों को अवगत कराये।
(3.) समाज को अपने शोषको एवं उद्धारको में फर्क करना बताऐ।
(4.) समाज को धार्मिक अंधविश्वास से मुक्ति दिलाये। लेकिन आरक्षित वर्ग लाभ लेकर अपने जिम्मेदारी से मूह मोड लिया। यहां पर बात सिर्फ आरक्षण लाभार्थी की नही है हर वह मदद जो सरकार द्वारा जातिय आधार पर मिलती है के बारे में है। चाहे व्यक्ति व्यापार में हो या पढ़ रहा हो हर स्तर पर उसे जातिय आधार पर रियायत या सहूलियत मिलती है। ये बाते उन सभी व्यक्तियों पर बराबर लागू होती है। अभी ये मौकापरस्त लाभार्थी अल्प समय के लिय जाग गये है। जैसे ही उनका हित सुरक्षित होगा वे फिर सो जायेगे अपने ही समाज को, बाबासाहेब को गाली बकना चालू कर देगे। मेरा प्रस्थान बिन्दु यहीं है आप सीने में हाथ रख कर कहे की क्या वास्तव में आरक्षण पाने वालों ने अपने समाज के साथ न्याय किया है? ©हँसराज_मीणा

Comments

Popular posts from this blog

आपका दौर है, हमारा जमाना आएगा !

हम देहात के निकले बच्चे !