केवल इन लोगों को दीजिए नये साल की शुभकामनाएं, दुआएं देंगे ये लोग..!

नव वर्ष मुबारक हो उन्हें, जिन्हें नये कैलेण्डर की तारीखों में कुछ नयापन लगे। मैं तो 2015 के कट जाने की शुभकामनाएं देना और लेना चाहता हूं। ऐसा नहीं है की 2015 से मेरा कोई विशेष लगाव हो। लेकिन यह स्मृति पटल पर हमेशा जीवित रहने वाला है। क्योकि यह वर्ष प्रायः हर किसी के लिए तनाव व दुःख-दर्द भरा रहा। यह वर्ष समूचे विश्व के लिए काल की तरह रहा, जो आज कट रहा है। मुझे शुभकामनाएं उन्हीं कटे हुए दिनों की चाहिए। जो भोगे जा चुके है, जो अनचाहे जिए और काटे जा चुके है। जिसने मेरे देश की शांति, एकता और संप्रभुता पर गहरा कुठाराघात किया था, जिसने न जाने कितने सैनिकों, किसानों, मजदूरों और अख़लाक़ जैसे लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। जिसने लोगों को असहिष्णु होने विवश कर दिया था, जिसने सफेदपोश लुटेरों को बल दिया था, जिसने न जाने कितनी बच्चियों, युवतियों और महिलाओं के आंचल तक हाथ ले जाकर समूचे समाज को शर्मसार कर दिया था, और जिसने कभी जलमग्न हो तो कभी भूमि में कम्पन्न लाकर लाशों का सैलाब ला दिया था। पर यह नया वर्ष उन्हीं लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का है। बेघरों-बेसहराओं को सहारा देने का है। बच्चियों, युवतियों और महिलाओं की रक्षा में एक भाई-एक पुत्र के खड़े होने का है। यह वर्ष परायों के लिए भी अपना बनने का है। 2015 विदा हो गया है। लग रहा है कि आंखों से आंसू विदा हो रहे हो, जिसके बाद स्वभाविक रूप से आंखें साफ हो जाएंगी। काल की घटाएं छट जाएंगी, जिसके बाद नव वर्ष के नव सूर्य का उदय होगा, जिसका प्रकाश अपनों के वियोग में मुरझा चुके चेहरों में क्रांति व तेज का प्रवाह कर देगा, जिससे वे चेहरे पुनः चमक उठेंगे, दमक उठेंगे। वे सारी विसंगतियां ख़त्म हो जाएंगी, विषमताओं को तिलांजलि दी जाएगी और आपसी विद्रोह के स्वर सम्भवता निर्विवाद शांत हो जाएंगे। सहिष्णुता और संप्रभुता का वातावरण कायम हो उठेगा साथ ही इस बड़े लोकतंत्र में जनतांत्रिक मूल्यों की प्रतिष्ठा हो उठेगी। इसी विश्वास के साथ आप सभी को नववर्ष मंगलमय हो। ©हंसराज_मीणा

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